The Shodashi Diaries
Wiki Article
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥
चक्रेश्या प्रकतेड्यया त्रिपुरया त्रैलोक्य-सम्मोहनं
Her representation just isn't static but evolves with inventive and cultural influences, reflecting the dynamic character of divine expression.
कन्दर्पे शान्तदर्पे त्रिनयननयनज्योतिषा देववृन्दैः
The observe of Shodashi Sadhana is usually a journey in direction of both of those satisfaction and moksha, reflecting the twin character of her blessings.
An early early morning bathtub is considered necessary, accompanied by adorning contemporary outfits. The puja location is sanctified and decorated with bouquets and rangoli, creating a sacred Room for worship.
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।
या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः
By embracing Shodashi’s teachings, persons cultivate a lifestyle enriched with reason, adore, and link on the divine. Her blessings remind devotees on the infinite natural beauty and knowledge that reside within, empowering them to Reside with authenticity and Pleasure.
ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?
The Mahavidya Shodashi Mantra fosters read more emotional resilience, assisting devotees solution everyday living by using a tranquil and constant brain. This reward is valuable for people suffering from pressure, because it nurtures interior peace and the opportunity to preserve psychological harmony.
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥